Tuesday, May 06, 2008

कुछ मैं

कुछ तुम

कुछ ना कुछ

जब भवो पे बैठी हुई नीद

आंखो का रास्ता भूल जाती है

तब कुछ ना कुछ याद आता है

शायद

बहुत कुछ !

2 comments:

Anonymous said...

Excellent !

36solutions said...

भावपूर्ण ब्लाग लेखन के लिए शुक्रिया भाई ।
संपूर्ण हिन्दी में एक ब्लाग लिखें बंधुवर डाक्टर साहब नें अब आपको हिन्दी नेट बता ही दिया है, अपनी भावनाओं को हिन्दी में भी अलग से प्रस्तुत करें एवं हिन्दी फीड एग्रीगेटरों के माध्यम से हिन्दी प्रेमियों तक पहुंचायें ।